ब‍िहार में इस दीपावली जगमग होंगे मधुबनी पेंटिंग से सजे दीये और लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति

मधुबनी। इस दीपावली मधुबनी पेंटिंग से सजे दीये जगमग होंगे। ये विभिन्न डिजाइन और आकार के हैं। लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति के अलावा थाली, प्लेट, कटोरा और ट्रे सहित अन्य वस्तुएं भी हैं। पेपरमेसी कला से बनीं ये सभी वस्तुएं पूरी तरह से ईको फ्रेंडली हैं। इसकी देशभर से मांग है। इस काम में एक दर्जन से अधिक कलाकार लगी हैं। दीपावली में उन्हें अच्छी-खासी कमाई की उम्मीद है। तकरीबन 10 लाख के कारोबार का अनुमान है।

जिले के पंडौल निवासी कामिनी कौशल के साथ अधीरा देवी, गंभीरा देवी, रामरती देवी, शीला देवी, आशा देवी व सुधीरा देवी सहित एक दर्जन कलाकार बीते एक माह से दीपावली पर इन वस्तुओं के निर्माण में लगी हैं। धार्मिक दृष्टिकोण से शुभ माने जाने वाले कछुआ, हाथी, उल्लू, पान के पत्ते की आकृति वाले दीयों की काफी मांग है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, जयपुर और बेंगलुरु सहित देश के कई हिस्सों में आपूर्ति हो रही है। अब तक तकरीबन ढाई लाख का कारोबार हो चुका है। दीये 300 से 500 रुपये प्रति दर्जन, कटोरा 500 से 700 रुपये प्रति दर्जन, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति 500 से पांच हजार रुपये तक की कीमत में उपलब्ध हैं।

कामिनी बताती हैं कि देशभर में रह रहे मिथिला के लोग इसे काफी पसंद कर रहे हैं। पूरा कारोबार आनलाइन हो रहा है। वाट्सएप ग्रुप और इंटरनेट मीडिया के जरिए आर्डर लिया जाता है। कुरियर से सप्लाई की जाती है। कलाकारों को बाजार कीमत पर 60 प्रतिशत की बचत होती है।

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यह है पेपरमेसी कला : रद्दी कागज व कार्टन को पानी में भिगोकर लुगदी बना ली जाती है। उसमें 40 प्रतिशत मिट्टी व मुल्तानी मिट्टी के अलावा नीम के पेड़ की छाल, नीम की पत्ती का पानी मिला लिया जाता है। इसे गूथकर मिट्टी की तरह बना लिया जाता है। उसी से दीया सहित अन्य वस्तुएं तैयार की जाती हैं। इसे पेपरमेसी कला कहते हैं। मधुबनी के सहायक निदेशक वस्त्र मंत्रालय (हस्तशिल्प) मुकेश कुमार का कहना है कि पेपरमेसी कला को रोजगार से जोडऩे के लिए योजना बनाई जाएगी। यह कला ईको फ्रेंडली है।