पूर्णिया। शहर में जलजमाव की समस्या के समाधान को लेकर नगर निगम की कवायद शुरु हो गई है। शहर में बिना आउटलेट वाले नालों का सर्वे शुरू कर दिया गया है। सर्वे के तत्काल बाद इस पर कार्य भी आरंभ कर दिया जाएगा। शहर में 60 फीसदी से अधिक ऐसे नाले होने की संभावना है, जिसका कोई आउटलेट नहीं है।
वोट की पटरी पर दौड़ता रहा नाला, बढ़ती गई परेशानी
नगर निगम क्षेत्र में जलनिकासी के नाम पर गत दस साल में करोड़ों रुपये व्यय हो चुके हैं। दरअसल इस दौरान प्रतिनिधियों द्वारा नालों का निर्माण तो कराया गया, लेकिन इसमें अधिकांश नालों का निर्माण बस वोट बैंक को साधने की कोशिश भर रही। इस दौरान न तो प्रतिनिधियों ने नाला निर्माण में आउटलेट की फिक्र की और न ही निगम के अभियंताओं ने इसकी सुधि ली। कागजों पर सब कुछ ओके होता चला गया। ऐसे में बोर्ड भंग होने के बाद नगर निगम द्वारा इस समस्या के समाधान की जमीनी कवायद शुरु की है। प्रमंडलीय आयुक्त सह प्रशासक राहुल रंजन महिवाल व नगर आयुक्त जीउत सिंह की पहल से बिना आउटलेट वाले नालों का सर्वे शुरु किया गया है।
बिना आउटलेट वाले हजार से अधिक नाले होने की संभावना मोटे अनुमान के मुताबिक शहर में एक हजार से अधिक ऐसे नालों का निर्माण हो गया है, जिसका कोई आउटलेट ही नहीं है। ऐसे में हल्की बारिश के बाद ही इन नालों का पानी सड़क पर आ जाता है। आम दिनों में भी यह स्थिति यदा-कदा बन जाती है। लाइनबाजार, नवरतन हाता, सुदीन चौक, सिपाही टोला, मधुबनी बाजार, विकास बाजार, गुलाबबाग व खुश्कीबाग परिक्षेत्र में भी यह स्थिति बनी हुई है। हाल में कुछ इलाकों में नगर निगम द्वारा अस्थाई तौर पर कुछ खास इलाकों में अस्थाई तौर पर ऐसे नालों को मुख्य नालों से जोड़ने की कोशिश भी की गई थी।
इस चलते बरसात में इन इलाकों के लोगों को कुछ राहत भी मिली थी। ऐसे में यह प्रयोग कारगर होने के कारण निगम प्रशासन द्वारा इसके स्थाई समाधान की कवायद शुरु की है। कोट- शहर में जलजमाव का एक अहम कारण बिना आउटलेट वाले नाले हैं। फिलहाल जलजमाव की समस्या का समाधान नगर निगम की प्राथमिकता में है। इसके लिए शहर में बिना आउटलेट व इनलेट वाले नालों का सर्वे शुरु कर दिया गया है। सर्वे के तत्काल बाद इस दिशा में कार्य आरंभ कर दिया जाएगा।