मुजफ्फरपुर। जिले में वायरल फीवर का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। गुरुवार को भी एसकेएमसीएच में 7 और केजरीवाल अस्पताल में 26 बच्चे सर्दी, खांसी, बुखार से पीडि़त होकर इलाज के लिए भर्ती हुए। एसकेएमसीएच शिशु रोग विभागाध्यक्ष डा. गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि जो बच्चे बीमार होकर आ रहे हैं, उन्हें स्वस्थ होने में चार से पांच दिन लग जा रहा है।
इससे घबराने की जरूरत नहीं है। मौसम के उतार-चढ़ाव के कारण बच्चे बीमार हो रहे हैं। इधर, जिले के विभिन्न पीएचसी में सात दिनों के अंदर 846 बच्चों का इलाज हुआ। इसमें 1 वर्ष के 125, 2 वर्ष के 146, 5 वर्ष तक के 228 और 5 वर्ष से लेकर 12 वर्ष तक के 351 बच्चों का इलाज हुआ। साहेबगंज प्रखंड में सबसे अधिक 317 बच्चे बीमार हुए हैं। वही मीनापुर, मोतीपुर व कटरा डेंजर जोन के रूप में सामने आया है। इसमें कुछ ऐसे गांव को भी चिन्हित किया गया है, जहां से बुखार के कुछ अधिक केस रिपोर्ट हुए हैं। अब द्वितीय चरण में इन बच्चों के घरों में जाकर इनकी वास्तविक स्थिति का आकलन किया जाएगा। यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि इन क्षेत्रों में और भी बुखार से पीडि़त बच्चे तो नही हैं।
फिर मिला डेंगू का एक मरीज
मुजफ्फरपुर : गुरुवार को डेंगू का फिर एक मरीज मिला। वह अहियापुर का रहने वाला बताया गया है। एसकेएमसीएच में जांच के बाद इसकी पुष्टि हुई है। आइडीएसपी विभाग के अनुसार, अहियापुर इलाके के रहने वाले एक व्यक्ति में डेंगू की पुष्टि हुई है। वह स्वास्थ्य कर्मी बताए गए हैं। इसके साथ ही जिले में डेंगू मरीजों की संख्या नौ हो गई है।
सात दिनों में विभिन्न प्रखंडों से 850 बच्चे बुखार से ग्रसित
मुजफ्फरपुर : कुछ दिनों से बुखार से पीडि़त बच्चों की संख्या में वृद्धि आई है। इसको लेकर केयर के सहयोग से सभी प्रखंडों में गत सात दिनों के अंदर ओपीडी में आए बुखार से ग्रसित बच्चों की संख्या का आकलन किया गया। इसमें पाया गया कि विगत एक सप्ताह में 850 बच्चे विभिन्न प्रखंडों में बुखार से ग्रसित हुए हैं। पीएचसी व सीएचसी में इलाज के लिए आए एक साल के 125, दो साल के 146 व पांच साल के बच्चों की संख्या 228 है। साथ ही पांच से 12 साल के बच्चों की संख्या कुल 351 है। सामान्यतया देखा गया कि सभी प्रखंडों में बुखार के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। इसमें सर्वाधिक बच्चे साहेबगंज प्रखंड में है। इसमें कुछ ऐसे गांव को भी चिन्हित किया गया है, जहां से बुखार के कुछ अधिक केस रिपोर्ट हुए हैं। इन बच्चों के घरों में जाकर इनकी वास्तविक स्थिति का आकलन किया जाएगा।