गया. चुनाव लड़ने और जीतने के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते. वर्षों से मुखिया बनने का ख्वाब संजोये एक युवक का किसी तकनीकी वजह से जाति प्रमाणपत्र (Caste Certificate) नहीं बना तो उसने पास के गांव की एक लड़की के साथ बगैर लग्न व बैंड-बाजे के मंदिर में सात फेरे ले लिए. आनन-फानन में शादी (Marriage) रचाने के बाद वो अपनी दुल्हन को विदा करा कर अपने घर ले आया. युवती के पास दांगी जाति का प्रमाण पत्र पहले से बना था, युवक आदित्य कुमार उर्फ राहुल ने कहा कि हम न सही, हमारी पत्नी ही मुखिया का चुनाव (Bihar Panchayat Election) लड़ेगी. अब वो चुनाव लड़ेगी और उसे हम जीत का सेहरा पहनवाएंगे.
घटना बिहार के गया (Gaya) जिले के खिजरसराय प्रखंड के होरमा पंचायत के बिंदौल गांव की है. यहां दांगी समाज का युवक आदित्य कुमार उर्फ राहुल पंचायत मुखिया का चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटा था. इसके लिए वो अपने दस्तावेजों को मजबूत कराने व प्रमाणपत्र लेने के लिए अपने प्रखंड के विभिन्न दफ्तरों का चक्कर काट रहा था. मगर उसे पता चला कि उसकी जमीन से संबंधित खतियान में उसके नाम के साथ दांगी शब्द का उल्लेख नहीं है, इसलिए उनका जाति प्रमाण पत्र नहीं बन सकता. इस तकनीकी गड़बड़ी की वजह से आदित्य परेशान हो गया. इसके बाद उसने प्रखंड के नौडिहा गांव की युवती सरिता, जो उसी की समाज की है, विवाह करने का मन बनाया. छह सितंबर को दोपहर में आदित्य ने सरिता के साथ केनी गांव के सूर्य मंदिर में शादी रचा ली.
आदित्य ने सरिता के साथ बगैर किसी लग्न पत्री व बैंड-बाजे के ही भगवान सूर्य को साक्षी मान कर शादी की. इस मौके पर वर व वधू दोनों पक्ष के लोग मौजूद थे. बताया जा रहा है कि युवक ने अपने समाज की सहमति पर ही यह शादी मंदिर में रचाई है.
शादी करने के बाद पति के साथ नामांकन दाखिल करने पहुंची दुल्हन
बुधवार को खिजरसराय प्रखंड कार्यालय परिसर में सरिता अपने पति आदित्य के साथ पहुंची और उसने मुखिया का नामांकन पर्चा दाखिल किया. नई नवेली दुल्हन के नामांकन भरने की खबर आते ही ब्लॉक परिसर और ब्लॉक के बाहर नई उसे देखने के लिए भीड़ इकट्ठा हो गयी. नॉमिनेशन के बाद उनके समर्थकों ने प्रखंड कार्यालय के बाहर नवदंपति को फूल मालाओं से लाद दिया और नारा लगाया कि ‘अब की मुखिया कैसी हो, नई नवेली दुल्हन जैसी हो.’
आदित्य कुमार उर्फ राहुल ने बताया कि करीब तीन साल से वो अपने क्षेत्र में मुखिया बनने के लिए काम कर रहा था. लोगों की हर समस्याओं से रूबरू हो रहा था, कई लोगों का उसने काम भी किया है. लेकिन जब नामांकन भरने की बारी आई तो पता चला कि जातिप्रमाण पत्र में गड़बड़ी हो गई है, जिसे उसका नॉमिनेशन नहीं हो सकता है. उसने कहा कि इस स्थित में उसने अपने परिजनों के सहमति से दूसरे गांव की रहने वाली अपनी ही जाति की युवती सरिता कुमारी के परिवारवालों ने संपर्क किया और दोनों की सहमति से शादी एक मंदिर में संपन्न हुई.
वहीं, नई नवेली दुल्हन सरिता ने कहा कि अपने पति के सहयोग से मुखिया का चुनाव जीतकर गांव के लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए काम करना चाहती है.
Source-news 18