मुजफ्फरपुर। सिविल सर्जन साहब कहें तो सदर अस्पताल है, लेकिन यहां हालत पीएचसी से भी बदतर है। पूरे कैंपस में कूड़े के ढेर, मेडिकल कचरे के ढेर नजर आ रहे हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञों की संख्या पर्याप्त है, लेकिन दो-तीन प्रसव कराना शर्मनाक स्थिति है।
जिला गुणवत्ता आश्वासन समिति की सोमवार को पहली समीक्षा के बाद जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने सदर अस्पताल की व्यवस्था पर नाराजगी जताई। डीएम ने कहा कि एक सप्ताह में चिकित्सा सेवा को पटरी पर लाया जाए। किसी भी मामले में, प्रसव की संख्या में वृद्धि हुई। यदि सफाई एजेंसी परिसर में लापरवाही बरतती है तो उस पर आर्थिक दंड लगायें।
सदर अस्पताल में कोरोना काल में इलाज व सुरक्षा के नाम पर बहाल किये गये करीब सौ सुरक्षा गार्डों व ट्राली कर्मियों को हटाने का फैसला डीएम ने सीएस पर छोड़ दिया। कहा कि खुद की समीक्षा करने के बाद तय करें कि इतनी मैनपावर की जरूरत है या नहीं। यदि नहीं, तो सही निर्णय लें। समीक्षा में सिविल सर्जन डॉ. विनय कुमार शर्मा, केयर इंडिया जिला समन्वयक सौरभ तिवारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक बीपी वर्मा आदि उपस्थित थे।
लिए गए निर्णय
– सदर अस्पताल परिसर में अलग से आंखों की ओपीडी होगी।
– अस्थि विभाग में घायल रोगियों का नियमित उपचार एवं प्लास्टर कराना सुनिश्चित करें।
– ईएनटी विभाग के डॉक्टर के लिए राज्य मुख्यालय को पत्र लिखा जाएगा।
– सभी डॉक्टरों का रोस्टर जारी किया जाएगा, आउटडोर और इनडोर में काम करने वाले डॉक्टर का नाम और मोबाइल नंबर प्रदर्शित किया जाएगा।
– डॉक्टर और कर्मी सभी एप्रन में हों ताकि यहां आने वाले मरीज उन्हें पहचान सकें।
– गर्भवती को मिलेगा डिलीवरी गाउन, बच्चों का इलाज शिशु वार्ड में हो।