बिहार के एथेनॉल प्लांट को 95 फीसदी कर्ज देने की सिफारिश

इन दिनों बिहार में एथेनॉल यूनिट लगाने के लिए निवेश प्रस्तावों की कतार लगी हुई है। लेकिन इन निवेश योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए बैंकों का सहयोग बहुत जरूरी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले दिनों राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की बैठक में राज्य के खराब सीडी अनुपात (क्रेडिट-जमा अनुपात) पर कड़ी नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं। वहीं उद्योग विभाग ने बैंकों के रुख को लेकर केंद्र से एकरूपता की मांग की है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने भी बिहार की एथेनॉल इकाइयों के लिए केंद्र की तर्ज पर 95 फीसदी तक के कर्ज की सिफारिश की है।

बिहार में कर्ज देने के मामले में बैंक ज्यादा लचीले नहीं रहे हैं। इस पर राज्य सरकार से लेकर उद्योग जगत तक के लोग अपनी नाराजगी जाहिर करते रहे हैं। केंद्र सरकार के बाद बिहार एथनॉल उत्पादन को लेकर नीति बनाने वाला देश का पहला राज्य है। उद्योग से जुड़े लोगों के मुताबिक केंद्र और बिहार की नीति के तहत एथनॉल यूनिट लगाने के लिए आवेदन करने पर कर्ज के नियम व शर्तें अलग-अलग हैं। केंद्रीय योजना के तहत 95 प्रतिशत तक ऋण देने का प्रावधान है। मार्जिन मनी और कोलैटरल सिक्योरिटी भी कम होती है।

हाल ही में उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने भी इस मुद्दे पर बैंक अधिकारियों के साथ बैठक की थी। केंद्र की तर्ज पर बिहार की एथेनॉल इकाइयों को कर्ज और अन्य सुविधाएं देने की भी बात कही गई। उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय वित्त मंत्री और खाद्य मंत्री को पत्र भी लिखा है।

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बिहार की मांग से उपभोक्ता मंत्रालय भी सहमत

केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने भी ऋण और अन्य सुविधाओं में एकरूपता को लेकर राज्य उद्योग विभाग की मांग को मान लिया है। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय और चीनी एवं खाद्य तेल निदेशालय के निदेशक विवेक शुक्ला ने वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव को पत्र भेजकर सिफारिश की है कि बिहार की एथेनॉल नीति के तहत आने वाले आवेदनों को भी ऋण दिया जाए। और केंद्र की तर्ज पर सुविधाएं।

30 हजार करोड़ के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं
बिहार में एथेनॉल उत्पादन इकाई स्थापित करने के लिए उद्योग विभाग को 30 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं. इनमें कई नामी कंपनियां भी हैं। अब तक करीब 10 इकाइयों को जमीन आवंटित की जा चुकी है।

50 करोड़ लीटर एथेनॉल बनाने का है लक्ष्य
बिना चीनी उत्पादन के एथेनॉल बनाने की नीति में बदलाव का प्रस्ताव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2007 में ही केंद्र को भेजा था। अब केंद्र की एनडीए सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी है। बिहार में फिलहाल 12 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन हो रहा है और इसे बढ़ाकर 50 करोड़ लीटर करने का लक्ष्य है।

2025 तक 25 प्रतिशत सम्मिश्रण लक्ष्य
फिलहाल पेट्रोल में 6.2 फीसदी एथेनॉल ब्लेंड किया जाता है। 2022 तक इसे बढ़ाकर 10 फीसदी और 2025 तक 25 फीसदी करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे में एथेनॉल बनाने वाली इकाइयों के लिए भी बड़ा बाजार उपलब्ध होगा।

बिहार में बैंक उद्योग के लिए अलग-अलग योजनाओं के मुताबिक 75 से 90 फीसदी कर्ज देते हैं। मार्जिन मनी 10 से 25 फीसदी तक होती है और कोलैटरल सिक्योरिटी भी 50 फीसदी तक होती है। डीएन त्रिवेदी, संयुक्त सचिव, अखिल भारतीय बैंक अधिकारी संघ