भागलपुर। जिले में नियमित शिक्षकों के तबादले की प्रक्रिया जारी है। जिससे जिला शिक्षा कार्यालय में हड़कंप मच गया है। राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के स्थानांतरण नियम 2018 के आलोक में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा शिक्षकों से मैट्रिक प्रशिक्षित, स्नातक प्रशिक्षित एवं प्रधानाध्यापक के पदों पर स्थानांतरण के लिए आवेदन मांगे गए हैं।
कृपया ध्यान दें कि यह स्थानांतरण वैकल्पिक है। इसके लिए शिक्षकों से तीन स्कूलों के नाम मांगे गए हैं। लेकिन किस स्कूल में किस ब्लॉक में पद रिक्त है, इसकी रिक्तियां अभी प्रकाशित नहीं की गई हैं। पदोन्नति-सह-स्थानांतरण नियम 2018 में उल्लेख किया गया है कि शिक्षकों को उनकी सेवा अवधि के दौरान प्रत्येक श्रेणी में दो स्वैच्छिक स्थानान्तरण की अनुमति है, लेकिन एक स्थानान्तरण से दूसरे स्थानान्तरण की अवधि चार वर्ष से कम नहीं होगी। जबकि पदोन्नति के बाद जिले में उपलब्ध रिक्तियों के आधार पर वरीयता के आधार पर पदस्थापन किया जाना है। वर्ष 2020 में 2018 में पदोन्नत हुए प्रभारी प्रधानाध्यापक को भी स्थानांतरण की मांग करते हुए स्वैच्छिक स्थानान्तरण के लाभ से वंचित कर दिया गया है, जबकि कई प्रधानाध्यापक ऐसे हैं जो स्नातक वेतनमान में एक ही विद्यालय में कार्यरत थे। जहां वे प्रमोशन के बाद हेडमास्टर बने। वर्ष 2021 में होने वाली तबादला प्रक्रिया में भी इसी प्रकार की पदस्थापना होने की संभावना है। जिला शिक्षा अधिकारी का कार्यालय पदोन्नति उपरांत स्थानान्तरण का कार्य कर रहा है। लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया दोनों के लिए अलग-अलग अपना रही है।
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दिलचस्प पहलू यह है कि शिक्षकों की पदोन्नति और स्थानांतरण के बाद राज्य सरकार 30 अक्टूबर 2013 के पत्र 102 और 2018 में जारी अन्य आदेशों की हर स्तर पर अपनी सुविधा के अनुसार व्याख्या करती है. उक्त पत्र में प्रावधान है कि प्रधानाध्यापक की पदस्थापना प्रखंड वार आनुपातिक रूप से की जानी है। वर्ष 2015 में प्रधानाध्यापक के पद पर पदोन्नति के बाद पदस्थापन के क्रम में पदोन्नति पत्र में उल्लेख किया गया था कि शिक्षकों की नियुक्ति आनुपातिक रूप से की जा रही है, लेकिन नगर निगम के सभी 49 माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक थे। की तैनाती। इसी प्रकार नगर निगम से सटे सबौर, जगदीशपुर व नाथनगर प्रखंड के सभी विद्यालयों में प्रभारी प्रधानाध्यापक पदस्थापित थे। सुदूर ग्रामीण अंचल के विद्यालय प्रभारी प्रधानाध्यापक के लिए तरस रहे थे। वर्ष 2018 में पदोन्नत प्रधानाध्यापक को इसी पत्र के आलोक में पदस्थापन किया गया था, लेकिन पदस्थापन का तरीका अलग-अलग रिक्तियों को प्रकाशित कर किया गया। शिक्षकों से कहा गया था कि नगर निगम सबौर और जगदीशपुर के स्कूलों में रिक्तियां होने के बावजूद आपकी पदस्थापना नहीं की जाएगी. जबकि नियमानुसार जिले के सभी प्रखंडों में आनुपातिक रूप से पदस्थापन किया जाना था, लेकिन नगर निगम सबौर व जगदीशपुर में संख्या अधिक होने के बाद भी दूसरे प्रखंड में नहीं भेजा गया। वर्ष 2020 के तबादले में सरकार के पत्र में नई व्याख्या दी गई कि जितने प्रभारी प्राचार्य पहले काम कर रहे हैं, उतने ही प्रभारी प्राचार्यों का तबादला उस प्रखंड में किया गया। जबकि शासनादेश प्रभारी प्रधानाध्यापक को आनुपातिक रूप से पदस्थापित करने का निर्देश कागजों तक ही सीमित रहा।
अब जिले के शिक्षकों की निगाहें 2021 में जिला स्थापना समिति देती है 5 साल से एक ही स्कूल में काम करने वाले शिक्षकों का तबादला, प्रोन्नति और तबादला समान माने या नहीं, सभी प्रखंडों को प्रधानाध्यापक आनुपातिक रूप से प्रभारी हैं या नहीं। नगर निगम में सालों से अवैध रूप से पदस्थापित प्रभारी प्रधानाध्यापक इन बातों पर टिके हुए हैं या नहीं, ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत हैं या नहीं।
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जो भी हो, तबादला को लेकर शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है, कहा जा रहा है कि जिनका तबादला हो रहा है वे खुश हैं और जो नहीं हैं, वे अंदर से अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं।