केंद्र में मोदी सरकार के संभावित कैबिनेट विस्तार को लेकर एनडीए में चर्चा शुरू हो गई है। जद (यू), अन्नाद्रमुक, अपना दल और लोजपा के नए धड़े को संभावित विस्तार में जगह मिल सकती है। इस फेरबदल का असर मौजूदा आधा दर्जन मंत्रियों पर भी पड़ सकता है, जिनके काम का बोझ कुछ पर कम होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के दो साल पूरे हो चुके हैं और अब तक मंत्रिपरिषद का एक बार भी विस्तार नहीं हुआ है. कोरोना काल के चलते पिछले एक साल से ऐसी कवायद भी नहीं हो पाई थी, लेकिन अब सरकार के भीतर इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं।दरअसल, मोदी सरकार में एनडीए का प्रतिनिधित्व मामूली ही है और सहयोगी दलों के पास रिपब्लिकन पार्टी के रामदास अठावले ही हैं. अठावले को राज्य मंत्री भी मिल चुका है और कैबिनेट में पूरी तरह से बीजेपी का ही दबदबा है।
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पीएम मोदी ने की वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बैठक
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और केंद्रीय मंत्रिपरिषद के अन्य सहयोगियों के साथ बैठक की. प्रधानमंत्री आवास पर हुई इस बैठक में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद थे। यह जानकारी सूत्रों ने दी। सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने पिछले हफ्ते भी इसी तरह की बैठकें की थीं। उन्होंने कहा कि इन बैठकों के माध्यम से प्रधानमंत्री विगम पिछले दो वर्षों में विभिन्न मंत्रालयों में किए गए कार्यों का लेखा जोखा ले रहे हैं और कई मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं।
सहयोगियों को मिलेगी ज्यादा जगह
संभावित विस्तार में भविष्य के गणित को देखते हुए भाजपा अपने सहयोगियों को पहले से कहीं अधिक स्थान दे सकती है। पहले सरकार में शामिल होने से इनकार कर चुकी जदयू अब इसमें शामिल हो सकती है। इसके अलावा तमिलनाडु में सत्ता से बाहर होने के बाद अन्नाद्रमुक भी केंद्र में सरकार में शामिल होने की तैयारी कर रही है। उत्तर प्रदेश में भविष्य के चुनाव के समीकरणों को देखते हुए अपना दल को भी जगह दी जा सकती है।
लोजपा के नए धड़े को हो सकता है फायदा
हाल के प्रमुख घटनाक्रमों में लोक जनशक्ति पार्टी के टूटने का असर कैबिनेट विस्तार पर भी पड़ सकता है। बिहार चुनाव के समय एनडीए के खिलाफ लड़ने वाली लोजपा में फूट पड़ गई है और उसके नेता चिराग पासवान अलग-थलग पड़ गए हैं। पार्टी के छह लोकसभा सांसदों में से पांच सांसदों ने अपना अलग गुट बना लिया है। सूत्रों के मुताबिक इस समूह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है। चूंकि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव अगले साल होने हैं और बीजेपी लोजपा के इस बड़े धड़े को अपने पास रखकर दलितों को एक संदेश देना चाहती है।
कुछ मंत्रियों का बोझ होगा कम
सूत्रों के मुताबिक संभावित विस्तार में आधा दर्जन मौजूदा केंद्रीय मंत्रियों का बोझ कम किया जा सकता है। इन मंत्रियों के पास दो से तीन मंत्रालयों का काम होता है। विस्तार और फेरबदल में करीब डेढ़ दर्जन नए मंत्रियों के शामिल होने की संभावना है।