1.25 लाख माध्यमिक और प्राथमिक शिक्षकों की बहाली पर रोक फिलहाल जारी रहेगी। इस प्रतिबंध को हटाने के लिए राज्य सरकार के अनुरोध पर सोमवार को पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने सरकार को रोस्टर पर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया। इस मामले में अगली सुनवाई गुरुवार को होगी। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता ललित किशोर ने अदालत को बताया था कि सरकार ने दिव्यांगों को कानून के तहत 4% आरक्षण देने के प्रावधानों का अनुपालन किया है और पूरी चयन प्रक्रिया आरक्षण नियमों का पालन करते हुए की जा रही है।
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उच्च न्यायालय द्वारा बहाली पर रोक के कारण अंतिम चयन सूची जारी नहीं की जा सकी। उन्होंने कहा कि या तो राज्य सरकार को रिट याचिका के अंतिम परिणाम के अनुसार नियुक्ति को अंतिम रूप देने की अनुमति दी जानी चाहिए या वैकल्पिक रूप से 1.25 लाख पदों में से चार प्रतिशत सीटें विकलांगों के लिए आरक्षित की जानी चाहिए। रिट याचिका के निष्पादन के बाद इन पदों पर विकलांग उम्मीदवारों को बहाल किया जाना चाहिए। इस बीच, शेष उम्मीदवारों की नियुक्ति की अनुमति दी जानी चाहिए।
मांग : नि:शक्त अभ्यर्थियों को आवेदन करने का मौका मिले :-
इस पर फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड एसोसिएशंस की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एसके रूंगटा ने कोर्ट से कहा कि विकलांगों के लिए सीटों की अधिसूचना पहले होनी चाहिए। साथ ही शिक्षक बहाली के लिए आवेदन नहीं कर सकने वाले विकलांग उम्मीदवारों को नए सिरे से आवेदन करने का मौका दिया जाए। इसके बाद ही बहाली की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए। हालांकि महाधिवक्ता ने इसका कड़ा विरोध किया था, लेकिन राज्य सरकार की ओर से अदालत में पेश रोस्टर पर आवेदक के वकील ने इसका विरोध किया कि एक तरफ राज्य सरकार दिव्यांगों को चार प्रतिशत आरक्षण देने की बात कर रही है। दूसरी तरफ सरकार की ओर से तैयार रोस्टर कुछ और ही बयां कर रहा है। अदालत ने सरकार को स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया और गुरुवार को मामले की अगली सुनवाई का आदेश दिया।