बिहार के स्कूलों में पांचवीं के 83 और आठवीं के 88 फीसदी विद्यार्थी कक्षा में शिक्षक की पढ़ाई समझ नहीं पाते हैं। तीसरी कक्षा में ऐसे बच्चों की संख्या 81 फीसदी है। ये बातें नेशनल अचीवमेंट सर्वे 2021 में सामने आई हैं।
यह स्थिति सरकारी के साथ निजी स्कूलों की भी है। निजी स्कूल की मानें तो जिला मुख्यालयों के स्कूलों में ऐसे बच्चों की संख्या 40 से 50 फीसदी तक है। बाकी सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षक की बात समझने में अधिक परेशानी होती है। ज्ञात हो कि हर दो साल पर नेशनल अचीवमेंट सर्वे किया जाता है।
पिछली बार 2017 में यह सर्वे किया गया था। कोरोना संक्रमण के कारण चार साल के बाद यह सर्वे हुआ है। बिहार से इसमें 5588 स्कूल, 01,70, 564 विद्यार्थी व 24,429 शिक्षक शामिल हुए थे। इसमें सरकारी और गैर सरकारी स्कूल भी शामिल थे। सर्वे में विद्यार्थियों के साथ शिक्षकों को भी शामिल किया गया था।
क्या सोचते हैं शिक्षक?
- 45 फीसदी ने कहा, उन्हें अलग-अलग कामों में लगाया जाता है।
- 30 फीसदी ने कहा, हम ओवरलोड से परेशान हैं।
- 55 फीसदी ने कहा, मिड डे मील के बारे में सोचें या पढ़ाने के बारे में।
- 65 फीसदी शिक्षक औचक निरीक्षण के डर के साये में रहते हैं।
- 34 फीसदी ने कहा, स्कूल में पढ़ाई के लिए पर्याप्त जगह नहीं है।
- 43 फीसदी शिक्षकों के अनुसार- सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधा नहीं होने का असर विद्यार्थियों को पढ़ाने पर पड़ रहा है।
- 42 फीसदी शिक्षक अपने वेतन से संतुष्ट नहीं हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
पढ़ाई के तरीके में ज्यादातर शिक्षकों में भाषा की परेशानी आ रही है। शिक्षक क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाएं तो बच्चों को समझ में आयेगा। वहीं ज्यादातर शिक्षक अपनी बातों को समझा नहीं पाते हैं। क्योंकि कक्षा लेने से पहले वो तैयारी नहीं करते हैं।- प्रो. केसी सिन्हा, शिक्षा विशेषज्ञ