मुजफ्फरपुर। बेला औद्योगिक क्षेत्र में जलजमाव से कारोबारियों को व्यापक नुकसान हो रहा है। दो फेज में तीन सौ यूनिट का यहां पर संचालन होता है। लेकिन अभी 150 औद्योगिक इकाइयां प्रभावित हैं। इनमें करीब दो दर्जन में पुर्णत उत्पादन ठप हैं। उद्यमियों को हर रोज करीब 25 करोड़ का नुकसान हो रहा है। पिछले एक माह से यही स्थिति है। बुनियादी कार्य नहीं होने से पानी का निकास बंद है। नालों की सफाई भी वर्षों से नहीं हुई है, नतीजा हर ओर जलजमाव है। निचले इलाके की यूनिटों में पानी भी घुस गया है। उसे में उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है।
पहले कच्चा माल अब मशीन में जंग
पाइपो प्लास्ट के संचालक उद्यमी अवनीश किशोर ने बताया कि पिछले दो माह से तबाही है। उनके फैक्ट्री में जलजमाव के कारण मशीन में जंग लग रहा है। मोटर जल गया। कच्चा माल डूबा हुआ है इसके कारण उत्पादन पूरी तरह से ठप है। इससे करीब 25 लाख का नुकसान अब तक है। उतर बिहार उद्यमी संघ के अध्यक्ष अनुपम कुमार, महासचिव विक्रम कुमार उर्फ विक्की, संगठन मंत्री शशांक श्रीवास्तव ने कहा कि बियाडा परिसर में सही तरीके से नाला का निर्माण नहीं हुआ है। जलनिकासी की व्यवस्था नहीं है। दो साल से ज्यादा तबाही है। पिछले साल भी 150 से 200 यूनिट में उत्पादन जुलाई, अगस्त व सितंबर तक जलजमाव हुआ। उद्यमियों ने विरोध प्रदर्शन की। लेकिन एक साल बीत जाने के बावजूद कोई निदान नहीं है।
परिसर में घटिया नाला व सड़क निर्माण पर जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने भी संज्ञान लिया। लेकिन बरसात से पहले नाला का निर्माण नहीं हो पाया। बरसात मेें सारे कारोबार चौपट हो गए। चाकलेट फैक्ट्री के संचालक कुंदन कुमार ने कहा कि उनके यहां जलजमाव से उत्पादन ठप है। लाखों का नुकसान हुआ है। उद्यमी विजय चौधरी और दिव्यांगों को रोजगार दे रहे राजकुमार, सुरेश खेतान, पवन कुमार, पंचम कुमार, चितरंजन प्रसाद ने बताया कि जलनिकासी के स्थायी निदान नहीं होने से उत्पादन पूरी तरह से ठप है।
कागज तक सिमटी योजना
लघु उद्योग भारती के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्यामसुंदर भीमसेरिया ने बताया कि पिछले एक दशक से परेशानी है। लेकिन बीते दो साल से हालत बद से बदतर हो रही है। इस साल तो दो लोग जलजमाव के कारण डूबकर मर गए। अभी दो माह से परिसर में सही तरीके से ट्रक नहीं आ जा सकता। हर फैक्ट्री के अंदर व बाहर पानी है। बियाडा के कार्यपालक निदेशक संतोष कुमार सिन्हा ने कहा कि शहर के पानी आने व बाहर के सारे नाला जाम होने से जलजमाव की हालत है। मास्टर प्लान बना है। बरसात बाद ड्रेनेज पर काम होगा। जलजमाव से नुकसान के लिए सरकार के स्तर से जो निर्देश आएगा। उसका पालन होगा।
यह होना चाहिए
– पूरे परिसर में गहरा नाला व उसके जलनिकासी के लिए बने प्लान पर हो अमल
– जब तक जलनिकासी को नाला का निर्माण नहीं हो रहा तब तक एक दर्जन बड़ा पंपसेट लगाकर किया जाए जल की निकासी