सरकार को राहत: हाईकोर्ट ने अध्यादेश पर रोक लगाने से किया इनकार, केंद्र व राज्य सरकार समेत चुनाव आयोग से मांगा जवाब

पटना हाईकोर्ट ने पंचायती राज कानून में संशोधन के लिए लाए गए अध्यादेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। लेकिन कोर्ट ने केंद्र, राज्य सरकार के साथ-साथ भारत के चुनाव आयोग और राज्य चुनाव आयोग को 14 जुलाई तक जवाब देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने हाईकोर्ट प्रशासन को इस मामले के साथ ईवीएम मामले को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। राज्य सरकार ने बिहार पंचायत राज अधिनियम की धारा 14 और 124 में संशोधन किया है। साथ ही पंचायत का कार्यकाल समाप्त होने के बाद परामर्शदात्री समिति गठित करने का आदेश जारी किया गया है। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।

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प्रियंका सिंह के वरिष्ठ अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने कोर्ट से कहा कि किसी को भी संविधान के बाहर काम करने की इजाजत नहीं है। लेकिन राज्य में सरकार संविधान के बाहर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 243 (ई) के तहत पंचायत चुनाव मौजूदा पंचायत का कार्यकाल खत्म होने से पहले होना है। अन्यथा पंचायत का कार्यकाल समाप्त होते ही पंचायत सदस्यों का कार्यालय स्वतः समाप्त हो जायेगा। किसी भी परिस्थिति में पंचायत का कार्यकाल तब तक नहीं बढ़ाया जा सकता जब तक कि संविधान में संशोधन नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि महामहिम राज्यपाल के हस्ताक्षर से जारी अध्यादेश संविधान में किए गए प्रावधानों के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य विधानमंडल को भी इन प्रावधानों को बदलने का अधिकार नहीं है। स्थानीय निकायों की व्यवस्था उस सलाहकार समिति द्वारा नहीं चलायी जा सकती जिसे अध्यादेश जारी कर गठित किया गया है। फिर भी राज्य सरकार का अध्यादेश लाकर पंचायत का कार्यकाल आगे बढ़ाया गया और परामर्शदात्री समिति गठित करने का आदेश जारी किया गया। यह तब किया गया है जब पंचायत चुनाव समय पर नहीं कराए गए थे।

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वहीं, राज्य सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता ललित किशोर ने अदालत से कहा कि राज्य सरकार पंचायत का कार्यकाल खत्म होने से पहले चुनाव कराना चाहती है। लेकिन चुनाव ईवीएम से हो या बैलेट पेपर से होने को लेकर हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की गई थी, लेकिन कई दौर की सुनवाई के बाद भी मामला लंबित है। वहीं राज्य चुनाव आयोग ने कोर्ट से कहा कि आयोग को जो आदेश मिलेगा उसका पालन किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में एक बेहद अहम मुद्दा उठाया गया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार समेत चुनाव आयोग का पक्ष जानना जरूरी है। इन दोनों पक्षों को बनाते हुए कोर्ट ने सभी विपक्षी पार्टियों को 14 जुलाई तक जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। इसके साथ ही मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 15 जुलाई तय की गई है।