मुजफ्फरपुर जेल में बंदियों के लिए बनायी गयी है लाइब्रेरी, 27 बंदी कर रहे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी

खुले आसमान के नीचे, कोई डीएम तो कोई एसएसपी तो किसी ने इंजीनियर बनने का सपना देखा. लेकिन, किस्मत की बाजी पलटी और वे अपराधिक वारदात में गिरफ्तार होकर जेल में कैद हो गये.

लेकिन, शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा की चाहरदीवारी बंदियों की सपनों की उड़ान को नहीं रोक पा रही है. जेल के अंदर रहकर भी 27 विचाराधीन बंदी अपने सपनों को सच करने में लगे हैं. वे यूपीएससी, बीपीएससी, आइटीआइ, आरआरबी, डिफेंस , बैंकिंग, बीटेक समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं.

27 बंदी कर रहे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी : जेल प्रशासन बंदियों को जरूरी स्टडी मैटेरियल, नोट्स उपलब्ध करवा रही है. परीक्षा सामने आने के बाद उनको पैरोल पर छुट्टी देकर परीक्षा में शामिल करवाती है. जिन कैदियों को पैरोल नहीं मिल पाता उनको न्यायालय के आदेश पर पुलिस अभिरक्षा में परीक्षा में शामिल होने के लिए भेजा जा रहा है.

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प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे बंदियों के स्टडी के लिए जेल में अलग से लाइब्रेरी की व्यवस्था की गयी है. जेल अधीक्षक बृजेश सिंह मेहता और जेलर सुनील कुमार मौर्य इन बंदियों को हर संभव मदद करते हैं. जेल अधीक्षक ने बताया कि जेल के अंदर 27 बंदी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. इनमें से 17 सक्रिय हैं. जिन्होंने हाल में यूपीएससी, बीपीएससी, आरआरबी समेत कई महत्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हुए हैं.

प्रोग्राम ऑफिसर व सीओ ने दिया यूपीएससी का पीटी : विजिलेंस ट्रैपिंग में फंसे प्रोग्राम ऑफिसर जो एक महिला अधिकारी है और सीओ संतोष कुमार ने हाल ही यूपीएससी की पीटी परीक्षा दी है. उनको इसके लिए सेंट्रल जेल से पैरोल पर छुट्टी दी गई थी. परीक्षा संपन्न होने के बाद दोनों वापस सेंट्रल जेल लौट आये और आगे की तैयारी में जुट गये हैं.

300 बंदी कर रहे इग्नू से पढ़ाई : इग्नू स्टडी सेंटर से 300 से अधिक बंदी मैट्रिक, इंटर, स्नातक और पीजी की पढ़ाई कर रहे हैं. इग्नू स्टडी सेंटर से पढ़कर अब तक 100 से अधिक बंदी ग्रेजुएट और 30 से अधिक बंदी पोस्ट ग्रेजुएट हो चुके है.

1500 से अधिक बंदियों को किया जा रहा साक्षर :  जेल प्रशासन 1500 से अधिक निरक्षर बंदियों को साक्षर कर रहा है. जेल अधीक्षक ने मंगलवार को सभी वार्डों का निरीक्षण किया. इस दौरान वार्ड में तैनात पुलिसकर्मियों को निर्देश दिया कि निरक्षर बंदियों को जेल की पाठशाला में भेजें. उनके लिए स्लेट, पेंसिल, किताब की व्यवस्था जेल प्रशासन की ओर से की गयी है.