भारत में पेट्रोल और डीजल के अलावा इनसे भी चलती हैं गाड़ियां, सब्जियों से भी बनता है ईंधन

कहीं सफर करने या माल ढोने के लिए हम कार, बाइक, बस, ट्रक आदि का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन इन्हें चलाने के लिए हमें ईंधन (Fuel Types) की जरूरत पड़ती है. भारत में मुख्य रूप से पेट्रोल और इंजन से गाड़ियां चलती हैं.

कुछ बदलाव CNG और एलपीजी से चलने वाली गाड़ियां भी लाई हैं. हालांकि, देश में केवल इनसे ही गाड़ियां नहीं चलती हैं, बल्कि दूसरे ईंधन का भी इस्तेमाल किया जाता है. मार्केट में काफी गाड़ियां बायो-डीजल, एथेनॉल या मेथेनॉल जैसे ईंधन से भी चलती हैं. यह बात अलग है कि पेट्रोल और डीजल के मुकाबले इनका इस्तेमाल काफी कम किया जाता है. आइए देश में मौजूद ईंधन के विकल्पों के बारे में विस्तार से जानते हैं.

पेट्रोल : पेट्रोल को गैसोलिन के नाम से भी जाना जाता है. यह भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला ईंधन है. दूसरे ईंधन के मुकाबले यह एकदमडी पैसा वसूल ईंधन है. देश में पेट्रोल पंप आसानी से मिल जाते हैं और इसे किसी भी रेंज की गाड़ी में इस्तेमाल किया जा सकता है.

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डीजल : ईंधन की मंहगी कीमत के बावजूद डीजल इस्तेमाल करने में 27 प्रतिशत की रिकवरी हुई है. यह आंकड़ा इसकी जबरदस्त पॉपुलैरिटी को दर्शाता है. पेट्रोल की तरह डीजल भी आसानी से मिल जाता है. यह लंबी दूरी तय करने के लिए सबसे मुफीद ईंधन माना जाता है.

कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (CNG) : CNG या कंप्रेस्ड नेचुरल गैस में एक प्रतिशत से भी कम कंप्रेस्ड मीथेन होता है. यह प्रदूषण को कम करने की दिशा में उभरते हुए ईंधन विकल्पों में से एक है. इसके अलावा यह एक सुरक्षित ईंधन है क्योंकि CNG को सर्टिफाइड सिलेंडर में भरा जाता है, जो लीक प्रूफ होते हैं.

लिक्विड पेट्रोलियम गैस (LPG) : लिक्विड पेट्रोलियम गैस को क्रूड ऑयल और नैचुरल गैस से निकाला जाता है. इसमें प्रोपेन और बूटेन जैसे हाइड्रोकार्बन गैस मिलती हैं. LPG इंजन से कार्बन और एसिड का सफाया होता है. CNG के मुकाबले LPG की कन्वर्जन कॉस्ट काफी किफायती होती है.

बायो-डीजल : डीजल और दूसरे तेल को मिलाकर बायो-डीजल बनता है. सब्जियां, एनिमल फैट और कुकिंग ऑयल के वेस्ट से बायो-डीजल बनाने की प्रकिया का नाम ट्रांसेस्ट्रीफिकेशन है. जैसा कि हमने बताया है कि बायो-डीजल में नेचुरल सामग्री होती है, जो इसे बायोफ्यूल का अच्छा विकल्प बनाती है.

एथेनॉल या मेथेनॉल : यह ईंधन ऑक्टेन नंबर से बना एल्कोहोल होता है. यह एक रिन्यूएबल और बायोडिग्रेडेबल एनर्जी का सोर्स है. इसका इस्तेमाल करने से कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का कम उत्सर्जन हो रहा है. भारत सरकार भी इसका प्रोडक्शन बढ़ाना चाहती है.