पूरा देश लगातार कोरोना वायरस से जंग लड़ रहा है, लेकिन इसके बीच और भी कई समस्याएं हैं जो देश की जनता के सामने आती हैं। तूफ़ान जैसा तूफ़ान हो या काली फफूंद जैसी जानलेवा बीमारी। ऐसे समय में जब कोरोना के बाद देश के कई राज्यों में काले कवक के मामले बढ़ते देखे जा रहे हैं। एक और बीमारी है जो देश में फैलती नजर आ रही है। यह रोग मुख्य रूप से इम्युनोकॉम्प्रोमाइज्ड कोविड-19 रोगियों को प्रभावित कर रहा है। यह एक अलग कवक है जिसे सफेद कवक कहा जाता है। इसने एक बार फिर पूरे देश में हलचल मचा दी है। हालांकि जानकारों का कहना है कि यह ब्लैक फंगस जितना खतरनाक नहीं है। https://youtu.be/edcKL5Fqc0o
इसे सही समय पर पहचानें और डॉक्टर के पास जाएं, इसके लिए जल्द से जल्द इसका इलाज करना जरूरी है, जो एक से डेढ़ महीने तक चल सकता है। एलएनजेपी में काम करने वाले डॉक्टर सुरेश कुमार का कहना है कि सफेद फंगस (एस्परगिलोसिस) काले फंगस जितना खतरनाक नहीं है। उपचार 1-1.5 महीने तक जारी रह सकता है, इसलिए शीघ्र निदान महत्वपूर्ण है। अपने डॉक्टर की सलाह के बिना #COVID19 के इलाज के लिए स्टेरॉयड न लें। डॉक्टर कहते हैं, “यह फंगस तंग और नम जगहों पर उगता है, इसलिए अपने आस-पास नियमित सफाई सुनिश्चित करें। कई दिनों तक फ्रिज में रखे खाद्य पदार्थों को खाने से बचें, अपने घर में ताजे फल खाएं। सूरज को अंदर आने दें और अपना मास्क रोज धोएं।”
इसे सही समय पर पहचानें और डॉक्टर के पास जाएं, इसके लिए जल्द से जल्द इसका इलाज करना जरूरी है, जो एक से डेढ़ महीने तक चल सकता है। एलएनजेपी में काम करने वाले डॉक्टर सुरेश कुमार का कहना है कि सफेद फंगस (एस्परगिलोसिस) काले फंगस जितना खतरनाक नहीं है। उपचार 1-1.5 महीने तक जारी रह सकता है, इसलिए शीघ्र निदान महत्वपूर्ण है। अपने डॉक्टर की सलाह के बिना #COVID19 के इलाज के लिए स्टेरॉयड न लें। डॉक्टर कहते हैं, “यह फंगस तंग और नम जगहों पर उगता है, इसलिए अपने आस-पास नियमित सफाई सुनिश्चित करें। कई दिनों तक फ्रिज में रखे खाद्य पदार्थों को खाने से बचें, अपने घर में ताजे फल खाएं। सूरज को अंदर आने दें और अपना मास्क रोज धोएं।”
बिहार कोरोना अपडेट: कैमूर में एक भी पॉजिटिव नहीं, राज्य में मिले 5154 नए केस
आपको बता दें कि सफेद कवक की पहली रिपोर्ट बिहार के पटना से आई थी। हालांकि, सरकार द्वारा संचालित पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) ने इन खबरों को खारिज कर दिया। विशेषज्ञों ने कहा कि इसका कोई आधार नहीं है कि “सफेद कवक” काले कवक से अधिक खतरनाक है। विशेषज्ञ बताते हैं कि काला कवक अधिक आक्रामक होता है जो साइनस, आंखों, मस्तिष्क को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है और जिसके लिए बड़ी सर्जरी की आवश्यकता होती है।