6 मई को लॉकडाउन में भागलपुर के मिरजनहाट मोहल्ला को पूरी तरह सील कर दिया गया था।आलम यह था कि अमीना बेगम के घर में रसोई गैस नहीं थी। खाना बनाना मुश्किल हो गया। राहत शिविर में बांटे जा रहे भोजन से वृद्ध माता-पिता और बच्चों का पेट भरा जा रहा था। उसके बैंक खाते में 20 हजार रुपये थे लेकिन वह निकाल नहीं पा रहा था। जिस बैंक में खाता था उसे भी सील कर दिया गया है। पास में कोई एटीएम नहीं था। फिर उन्हें अखबार में छपी खबर की जानकारी मिली, जिसमें पोस्ट ऑफिस ने मोबाइल पोस्ट ऑफिस और मोबाइल नंबर शेयर किया था। मोबाइल पर कॉल करने के पंद्रह मिनट बाद ही डाकिया घर आ गया। उनका अकाउंट आधार से लिंक था। फिर क्या था, बस उंगलियों के निशान लिए और दस हजार रुपये निकाल लिए। इतना ही नहीं उज्ज्वला योजना के तहत 843 रुपये का भुगतान भी किया गया। इसी तरह डाक विभाग कोरोना काल में लोगों का सहारा बना। इस दौरान डाक विभाग की सेवाओं को भी काफी पसंद किया गया। यही कारण है कि डाक विभाग ने इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक के माध्यम से बिहार पोस्टल सर्कल में कोरोना काल में घर-घर 818 करोड़ रुपये की ढुलाई की है। वह भी एक कॉल पर, इसलिए आधार आधारित भुगतान प्रणाली यानी AEPS के तहत जरूरतमंदों के घर पहुंचने वाला बिहार पूरे देश में पहला है।
54 लाख डीबीटी : इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक में दिसंबर 2019 से अब तक 71 लाख 68 हजार खाते खोले जा चुके हैं. दिसंबर 2019 से मार्च 2020 तक सात लाख 68 हजार खाते हैं। इस तरह से कोरोना काल में मार्च 2020 से अब तक डाकघरों में कुल 68 लाख खाते खोले जा चुके हैं। विधवा पेंशन, विकलांग पेंशन, छात्रवृत्ति, उज्ज्वला योजना सहित 113 प्रकार की योजनाओं के डीबीटी का भुगतान भी डाकघरों के माध्यम से किया गया है। अब तक 54 लाख डीबीटी किया जा चुका है। इसमें लाभार्थियों को 877 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
29 लाख बिल भुगतान : पेमेंट बैंक के माध्यम से सभी प्रकार के बिल भुगतान की सुविधा भी प्रदान की जा रही है। बिजली बिल से केबल, मोबाइल, भूमि रसीद की कटौती, कर जमा, कई प्रकार के बिलों का भुगतान भी आईपीपीबी के माध्यम से किया जा रहा है। अब तक 29 लाख ट्रांजेक्शन हो चुके हैं। इसमें 44 करोड़ रुपये का बिल भुगतान किया जा चुका है। चीफ पोस्ट मास्टर जनरल अनिल कुमार ने कहा कि बिहार पूरे देश में अधिकतम लेनदेन, खाता खोलने, डीबीटी और भुगतान के मामले में पहले स्थान पर है।