प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को जल्द ही किताबें खरीदने के पैसे मिलेंगे

शिक्षक नियोजन के जटिल मुद्दे को सुलझाने के बाद अब राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने शैक्षणिक सत्र शुरू होने के दो महीने बाद भी बच्चों के पास पाठ्यपुस्तकें नहीं होने की समस्या के समाधान पर ध्यान केंद्रित किया है. राज्य के सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चों को किताब खरीद राशि देने की तैयारी शुरू हो गई है। 1.68 करोड़ बच्चे सरकारी प्राथमिक स्कूलों में हैं, जिन्हें पैसा मिलेगा। पिछले साल बच्चों को किताबें खरीदने के लिए 534 करोड़ रुपए दिए गए थे।

Big Breaking: नियमों को ताक पर रख मिड डे मील की साधनसेवियों का तबादला, डीईओ ने लगाई रोक…

समग्र शिक्षा के तहत इसके एवज में स्वीकृत राशि बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के पास मौजूद है। शिक्षा विभाग की ओर से संकेत मिलते ही डीबीटी के लिए गठित सेल में पैसा ट्रांसफर कर दिया जाएगा। जरूरत पड़ने पर बीईपी इस आशय का प्रस्ताव बनाकर विभागीय मंजूरी भी ले सकता है। शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने भी इस बात के संकेत दिए हैं। उनका कहना है कि कोरोना संकट के चलते हम नए शैक्षणिक सत्र में स्कूल नहीं चला पाए हैं। बच्चों को संक्रमण से दूर रखने के लिए एहतियात के तौर पर 5 अप्रैल से सभी शिक्षण संस्थान बंद हैं, जिसके चलते किताब की राशि नहीं दी गई है। हालांकि किताबें ई-लॉट पर अपलोड कर दी गई हैं। अब हम शुरुआत कर रहे हैं कि जल्द से जल्द किताब की खरीद की राशि बच्चों के खाते में जाए।

Whatsapp Group Join
Telegram channel Join

रकम जाती भी है तो किताब उपलब्ध कराने की चुनौती : शिक्षा विभाग अगर आने वाले दिनों में बच्चों के खाते में किताब खरीद की राशि भेज भी देता है तो किताबें उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती है। बड़ी चुनौती यह है कि कितने प्रतिशत बच्चे पैसे पाकर किताब खरीदते हैं। फिलहाल इसकी राह में तीन बड़ी बाधाएं हैं। पहला लॉकडाउन, दूसरा नामांकित बच्चों के परिवारों की आर्थिक स्थिति और तीसरा किताबों का न होना। अब अगर राशि चली भी गई तो उसका उपयोग किताब खरीदने में किया जाएगा, इसमें संशय है।

बिहार के बच्चों को किताबों के पैसे मिलते हैं : – गौरतलब है कि देश में लागू छह से चौदह साल के बच्चों के नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत पहली से आठवीं यानी प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को मुफ्त किताबें दी जानी हैं। इसके लिए केंद्र की ओर से समग्र शिक्षा में राशि का प्रावधान किया गया है। जहां देश के बाकी राज्य बच्चों को मुफ्त में किताबें उपलब्ध कराते हैं, वहीं बिहार में पिछले तीन साल (2018) से सभी नामांकित बच्चों के खाते में किताब खरीदी की राशि दी जा रही है। पहली से पांचवीं कक्षा के प्रत्येक बच्चे को 250 रुपये और छठी से आठवीं कक्षा के बच्चों को 400 रुपये दिए जा रहे हैं। राशि भेजने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि बीटीबीसी के जरिए किताबें लगातार बच्चों तक देर से पहुंच रही थीं। अप्रैल से शुरू होने वाले सत्र की किताबें कभी सितंबर तक तो कभी दिसंबर तक उपलब्ध रहती थीं।

राज्य की 7 सेंट्रल जेलों में छापेमारी, बेउरो में मिले पांच मोबाइल

किताब और रकम देने पर अलग राय :- शिक्षाविदों या शिक्षा विभाग के शीर्ष अधिकारियों के लिए बच्चों को मुफ्त किताबें उपलब्ध कराने और बदले में पैसे देने की प्रक्रिया दोनों पर अलग-अलग विचार हैं। जहां शिक्षाविद पुस्तकों की उपलब्धता को शिक्षा से पारित होने की रस्म के रूप में देखते हैं और इसकी वकालत करते हैं, वहीं दूसरी तरफ के लोग इसके लिए किताब पहुंचाने की पूरी प्रक्रिया को जिम्मेदार ठहराते हैं, जिसके कारण किताबें चार-छह के बाद बच्चों तक पहुंच रही थीं महीने।