निजी पैथोलॉजी में भी आरटी-पीसीआर परीक्षण ही नहीं, केवल वीआईपी मरीज ही लैब संचालकों के नमूने ले रहे हैं

कोरोना संक्रमण की लहर ने एक बड़ी मुश्किल पैदा कर दी है। सरकारी केंद्रों से दूर, अब निजी लैब संचालकों ने भी आरटीपीआर की जांच रोक दी है। मुजफ्फरपुर जिले में आरटीपीआरसी परीक्षा के लिए लगभग आधा दर्जन प्रयोगशालाओं को लाइसेंस दिया गया है, लेकिन इनमें से केवल एक ही प्रयोगशाला आरटीपीआर कर रही है। बाकी लैब ओवरलोड के कारण अब सैंपल नहीं ले रहे हैं। मुज़फ़्फ़रपुर में पाँच राष्ट्रीय स्तर की प्रयोगशालाएँ हैं, जिन्होंने आम लोगों के नमूने लेना बंद कर दिया है। इनमें से दो लैब ऐसी हैं, जिनमें केवल वीआईपी मरीज कॉल पर सैंपल लेने के लिए अपने घर जाते हैं।

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सरकारी केंद्रों पर भीड़ बढ़ने के कारण संक्रमण के बढ़ते जोखिम के कारण, लोग केवल निजी प्रयोगशालाओं का सहारा लेते थे। हालांकि, अब निजी लैब ने सैंपल लेने से तौबा कर ली है। राष्ट्रीय स्तर पर प्रयोगशालाओं की स्थिति भी खराब है, जिसमें हर दिन एक हजार से अधिक नमूने एकत्र करने की क्षमता है। कहा जाता है कि पटना, दिल्ली सहित सभी प्रमुख शहरों की प्रयोगशालाओं में इतनी बड़ी संख्या में नमूने एकत्र किए गए हैं कि इसकी रिपोर्ट नमूना लेने के छह से आठ दिन बाद ही प्राप्त की जा सकती है। तब तक, रोगी या तो गंभीर हो जाता है या रिपोर्ट आने से पहले इलाज के लिए मजबूर होता है।

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